मेरी प्रिय हिंदी रचनाएँ
My Favourite Hindi Literature Collection
सोमवार, जुलाई 16, 2007
कालिज स्टूडैंट
फ़ादर ने बनवा दिये, तीन कोट छै पैंट
लल्ला मेरा बन गया, कालिज स्टूडैंट
कालिज स्टूडैंट, हुये होस्टल में भरती
दिन भर बिस्कुट चरैं, शाम को खायें इमरती
कहँ 'काका' कविराय, बुद्धि पर डाली चादर
मौज़ कर रहे पुत्र, हड्डियां घिसते फ़ादर
- काका हाथरसी
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