शुक्रवार, जुलाई 20, 2007

रवि की सवारी

नव किरण का रथ सजा है
कलि कुसुम से पथ सजा है
बादलों से अनुचरों ने, स्वर्ण की पोशाक धारी
आ रही रवि की सवारी


विहग, बंदी और चारण
गा रहे हैं कीर्ती गायन
छोड़ कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी
आ रही रवि की सवारी


चाहता उछ्लूं विजय कह
पर ठिठकता देख कर यह
रात का राजा खड़ा है, राह पर बनकर भिखारी
आ रही रवि की सवारी


- बच्चन

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