मेरी प्रिय हिंदी रचनाएँ
My Favourite Hindi Literature Collection
बुधवार, जनवरी 31, 2007
कर कानन कुंडल मोरपखा
कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है
मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि छाजती है
रसखानी लखै तन पीतपटा सत दामिनी कि दुति लाजती है
वह बाँसुरी की धुनी कानि परे कुलकानी हियो तजि भाजती है
-रसखान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें