शुक्रवार, फ़रवरी 02, 2007

मुक्तक
































































[Collection Coutesy : Manaskriti 'Kavyalaya"]

1 टिप्पणी:

  1. सखि ! दोनों ओर प्रेम पलता है
    एक ओर दीपक जलता है
    दूजी ओर पतंग जलता है


    शायद महादेवी वर्मा जी क है एक बार confirm कर लें
    आनन्द.पाठक

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